भ्रष्टाचार एक ऐसा विषय है जिसपर पार्टियां मात्र वोट मांगते ही दिखाई देती हैं। सत्ता में आने पर उनके कदमों का रुख बदल सा जाता है। सत्य तो यह है कि वे भी वही मिठाई चखते हैं जिसपर अन्य मक्खियां बैठी थीं। देश में भ्रष्टाचार उस दीमक के समान है जो लकड़ी को खोखला कर देता है। और देश की वर्तमान संरचना के अनुरूप, वही इस देश को बदलने में सक्षम हैं जो मिठाई से चिपके हैं। चलो लकड़ी से दीमक हठायें 🪵🐜।
भ्रष्टाचार की परिभाषा और सत्य
“किसी व्यक्ति या संगठन द्वारा अपनी सत्ता या शक्ति का दुरुपयोग कर अपने कार्य में बेईमानी करना भ्रष्टाचार है।” अपने स्वार्थ और लोभ की पूर्ति के लिए अपने देश को ठगना या गद्दारी करना, देशद्रोह करने के समान है। ऐसा नहीं है कि इसमें अपवाद नहीं होते हैं। वे सब जगह पाए जाते हैं। परन्तु सभी भ्रष्ट लोग अपने औधे के अनुसार हाथ मारते हैं।
जॉब की शुरुआत में, कुछ पहले से हाथ-मुँह धोकर तैयार होते हैं। मानो उनका एकमात्र लक्ष्य नौकरी पाना रहा हो, जो अब पूरा हो गया। कुछ समय के साथ समझौता कर लेते हैं। और बचे हुए अपवाद हैं। बड़ों को बहुत जल्द और छोटों को शांत रहकर इसकी कीमत भी चुकानी पड़ती है।
सत्य तो यह है, भ्रष्टाचार से देश का कोई भी व्यक्ति अछूता नहीं है। भले ही उसके पास कोई सत्ता या शक्ति हो अथवा न हो। ऐसा इसलिए क्योंकि गलत करने वाला या गलत देखने वाला दोनों बराबर के जिम्मेदार होते हैं। और यहाँ तो दोनों (घूस लेने वाला अथवा देने वाला) कार्यरत होने के कारण कर्ता हैं। जो व्यक्ति घूस ले रहा है वो तो मुख्य कर्ता होने के कारण जिम्मेदार है ही अथवा जो घूस दे रहा है वो कार्य में लिप्त होने के कारण भ्रस्टाचार में बराबर का भागीदार हुआ।
भ्रष्टाचार की शुरुआत कैसे हुई?
बहुत पहले से भेदभाव की राजनीति खेलकर राजा भारतवासियों पर शासन करते आ रहे थे। इसी राजनीती को और अच्छे से खेलकर आक्रमणकारियों ने देश पर शासन कर भारत को लूटा। जब समय का पासा पल्टा तो फिरसे भारत के राजा गद्दी पर आरूण हुए। परन्तु इस समय तक राजा और उनके भाईयों में गद्दी को लेकर हमेशा विवाद छिड़ा रहता। जिसके कारण एक दूसरे के रिश्तों में दरार पड़ गई। भाई सदैव अपने भाई को गद्दी से हटाने के उपाय खोजते रहता। यही पूरे देश के हालात थे।
इसका फायदा अंग्रेजों ने उठाया। भाई-भाई को आपस में लड़वाकर स्वयं उनके राज्य को हड़प लिया। इस प्रकार उन्होंने पूरे देश पर आधिपत्य जमाया। 1793 में कॉर्नवालिस के द्वारा जमींदारी व्यवस्था लागू की गयी। इससे हमारे ही लोगों से अंग्रेजों ने हमारी जमीनों पर कर वसूला, उन्हीं के द्वारा हमारी जमीनें हड़पी गयीं। जिससे हम अति दरिद्र हुए और आपस में फूट पड़ी।
1835 में विलियम बेंटिक ने अंग्रेजी शिक्षा अधिनियम लागू किया। जिसका मुख्य उद्देश्य नई शिक्षा पद्दति लागू करना नहीं बल्कि हमारे गुरुकुलों को नष्ट करना था। मैकाले द्वारा सुझाव देने पर हमारे गुरुकुलों को नष्ट किया गया। देश में सारी कुरीतियां जैसे दहेज़ प्रथा, बेरोज़गारी, भ्रष्टाचार, शराब, बूचड़खाना आदि सभी अंग्रेज़ों की देन है। ऐसी कई कुरीतियां वे हमारे देश में लाए जिससे हम सब बिखर गए।
महत्वपूर्ण
बेशक भ्रष्टाचार की शुरुआत अंग्रेजों ने की, यहीं से लोग भ्रष्ट हुए। आजादी के बाद प्रधानमंत्री इसे बदल सकते थे किन्तु उन्होंने ऐसा नहीं किया। समय के साथ देश अमीर हुआ और समृद्धि के साथ भ्रष्टाचार भी अपनी जड़ें फैलाता चला आ रहा है। इसीलिए दरिद्रों का सदैव शोषण होता है और वहीं अमीर भ्रस्टाचार का मुख्य कारण हैं।
भ्रष्टाचार के मूल कारण क्या है?
भ्रष्टाचार मूलतः तीन प्रकार से होता है। पहला अधिकारीयों, नौकरशाहों से होता हुआ मंत्रियों तक या सीधा मंत्रियों तक घूस पहुँचाना। दूसरा, सीधा पार्टी फंड में रूपए देकर और तीसरा निजी संस्थानों (मुख्यतः स्कूल और अस्पताल) द्वारा लूटना। तीसरे को गिना नहीं जाता परन्तु यह भी मजबूरी का फायदा उठाते हैं। आम आदमी की जरूरत ही पहला विकल्प है। दूसरा अमीरों और तीसरे पर दोनों लूटे जाते हैं।
पहले पर काम तेजी से करने के लिए घूस दी जाती है। ऐसा न करने पर आपका काम कई सालों में हो पायेगा। दूसरे पर बड़े काम को अंजाम देने के लिए और तीसरे पर भविष्य को लेकर रूपए दिए जाते हैं। दूसरे और तीसरे को एक नंबर में बदल दिया गया है। यहाँ पर कोई नहीं फंस सकता क्योंकि ऐसा करने के लिए कानून बना दिए गए हैं। पार्टी फंड में रुपए जमा करने पर उन्हें कोई भी जबाबदेही की आवश्यकता नहीं है। इसका अर्थ है उन्हें यह नहीं बताना कि पार्टी में रूपए कहाँ से आया क्योंकि ऐसा कानून है।
भारत की सबसे अमीर राजनीतिक पार्टी
भारत के सबसे अमीर व्यक्तियों की बात तो सभी करते हैं। पर यह कोई नहीं बताता कि भारत की सबसे अमीर राजनीतिक पार्टी कौन सी है। ADR मतलब एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स जो कि एक राजनीतिक एनजीओ है। इनकी प्रकाशित रिपोर्ट के हिसाब से कांग्रेस नंबर 3 पर आती है जिनके पास 588 करोड़ के एसेट्स हैं। 614 करोड़ के साथ बसपा नंबर 2 पर आती है। नंबर 1 पर आती है बीजेपी जिनके पास 4847 करोड़ के एसेट्स हैं। यह राजनीतिक पार्टियों के द्वारा घोषित किया हुआ ऑफिसियल डाटा है।
भले ही हम विकसित देशों से हर चीज में पीछे हों लेकिन चुनाव में खर्चा करने में हम दुनिया में सबसे आगे हैं। भारत ने 2019 में दुनिया के सबसे महंगे चुनाव कराने का रिकॉर्ड बनाया है। जिसमे औसतन एक वोट पर 700 रुपये खर्च किये गए। कुल 55-60 हजार करोड़ के बीच में खर्च हुए। बीजेपी खर्चा करने में पहले और कांग्रेस दूसरे नंबर पर थी। भारत में सत्तारूढ़ पार्टी हमेशा से ज्यादा अमीर और खर्चीली रही है। कांग्रेस के समय पर भी कांग्रेस सबसे अमीर थी।
भ्रष्टाचार की प्रक्रिया
“कल्याण के लिए लक्षित किए गए प्रत्येक रूपए में से केवल 15 पैसे ही लाभार्थी तक पहुंचते हैं।” राजीव गांधी जी के यह शब्द भ्रष्टाचार की सत्यता को उजागर करते हैं। भले ही प्रधानमंत्री मोदी जी ने कहा हो कि अब पूरा रूपए आम जन के खाते में पहुँचता है। किन्तु यह पूर्ण सत्य नहीं है, यह आधा सत्य केवल गुमराह करने के लिए है। प्रत्येक सरकारी सुविधा में कागजातों को ठीक प्रकार से ऊपर तक पहुँचाने की प्रक्रिया में 60 पैसे घूस देनी पड़ती है। तो क्या वास्तव में पूरे रुपए लोगों तक पहुँचते हैं?
भ्रष्टाचार कैसे रोकें?
भ्रष्टाचार को खत्म करना नामुमकिन-सा प्रतीत होता है। वास्तव में यह कठिन चुनौती से ज्यादा और कुछ नहीं है। अगर देश के सभी लोग अपना कार्य ईमानदारी से निष्ठा पूर्वक करें तो यह कार्य मुश्किल भी नहीं। यह प्रस्ताव सबके सामने रखने पर सब इसे स्वीकारें ऐसा संभव नहीं है। क्योंकि सबका अलग व्यक्तित्व है।
जब अंग्रेज हमारे देश में आये और उन्होंने पूरे भारत में भ्रमण करके लोगों के व्यक्तित्व की परख की तो पाया कि सभी बहुत ईमानदार, देश को समर्पित और अपने कार्य के प्रति निष्ठावान हैं। उनके लिए भी पूरे देश पर कब्ज़ा कर सबको कुरीतियों का प्रचार कर लोगों की मनोवृतियों को परवर्तित कर पाना अत्यंत चुनौतीपूर्ण कार्य था। पर उनमें और हममें अंतर बस इतना है कि वे एकत्र थे और हम अनेकत्र हैं।
नोटबंदी
भले ही इससे अर्थव्यवस्था को नुकसान हुआ। किन्तु रुपयों की चादर ओढ़े हुए नौकरशाहों और नेताओं की खठिया खड़ी हो गयी। अगर इस कार्य को एक और कदम आगे बढ़ाते हुए केवल 50, 20, 10 के नोटों का ही स्वचालन करें। इससे भ्रष्टाचार बहुत हद तक कम किया जा सकता है। बस इससे ऑनलाइन रूपए ट्रांसफर पर निर्भरता बड़ जाएगी। इसके लिए सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि सबके पास स्मार्टफोन है और वे ऑनलाइन ट्रांसफर का उपयोग उचित प्रकार से करना जानते हैं। आज के समय में यह मुश्किल नहीं है।
न्यूनतम प्रणाली
कम से कम समय में बिना घूस दिए लोगों के कार्य पूरे हों इसके लिए न्यूनतम प्रणाली विकसित करनी होगी। एक फोन कॉल पर पुलिस घर पर आती है। कुछ इसी प्रकार की अन्य प्रणाली विकसित करनी होगी। पंजाब में एक फोन कॉल पर आप बिजली, पानी का कनेक्शन ले सकते हैं। वैसे भी ऑनलाइन का उपयोग सरकार कई छेत्रों में कर रही है। इसे सभी जगह उपयोग में लाना चाहिए। A.I जैसी नई तकनीक के प्रयोग पर भी ध्यान देना चाहिए।
चुनावी प्रक्रिया में बदलाव
सभी तरह के चुनाव एक समय पर आयोजित किये जाएं। खासकर लोकसभा और विधानसभा के चुनाव, क्योंकि यह बड़े चुनाव हैं। इससे सभी (सरकार, पार्टी, जनता) के रूपए और समय दोनों की बचत होगी। वर्तमान सरकार इसपर विचार भी कर रही है। इसका भी असर भ्रष्टाचार पर सीधा पड़ेगा। क्योंकि तीनों के रुपए की बचत होगी।
देश की व्यवस्था में सूक्ष्म रूप से हुए सतत परिवर्तन देश के लोगों की मनोवृत्ति एवं सोच को बदलने में समर्थ है। प्रधानमंत्री मोदी जी ने कई कानूनों में परिवर्तन लाया है जिसे देश ने स्वीकृति दी है। इसी प्रकार हमें कुछ अन्य महत्वपूर्ण परिवर्तनों की आवश्यकता है। जिसमें शिक्षा पद्धति में बदलाव मुख्य है। इससे न केवल भ्रष्टाचार बल्कि अन्य छेत्रों में भी बदलाव संभव है। क्योंकि शिक्षा किसी भी देश की नींव है और यह देश को नयी दिशा देने में सक्षम है। इसपर अगले लेख में विस्तार से चर्चा करूँगा।
धन्यवाद 😊