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राजनीति – एक वरदान

Mr Anown द्वारा लिखित

मुनष्य की राजनीतिक शुरुआत बचपन से होती है। स्कूल में बच्चे चुगली करके अपनी अनपेक्षित ताकत की अनुभूति कराते हैं। यह एक प्रकार से न्यूनतम स्तर की ब्लैकमेलिंग है। बड़े होने पर स्कूलों में बच्चे समाजिक प्रतिष्ठा बढ़ाने के लिए ताकत का प्रयोग करते हैं। वस्तुतः इससे असर भी पड़ता है। अरस्तु “Aristotle” ने कहा है ‘मनुष्य स्वभावतः एक राजनीतिक प्राणी है।’

राजनीति क्या है?

“सत्ता या शक्ति पाने की लालसा में धन, बल, छल एवं मैत्री या संधि का प्रयोग करना ही राजनीति है।” राजनीति किसी देश या समाज का महत्वपूर्ण अंश है। यही इनके भविष्य का निर्माण करती है। मार्गदर्शन के बगैर देश या समाज का सुव्यवस्थित ढंग से कार्य कर पाना सम्भव नहीं। देश या समाज को मार्गदर्शन देने के लिए एक व्यवस्था बनाई गई। जिसका मार्ग राजनीति से होकर गुजरता है।

ऐसे देश की कल्पना कीजिए जहां कोई राजा हुआ ही न हो, न ही वहां कोई मार्गदर्शक हुआ और न राजनीति हुई। ऐसा देश हमेशा गुलामी की बेड़ियों में जकडा रहेगा। वहां के लोगों को भ्रमित करना आसान होगा। न वहां वृद्धि होगी और न वे कभी मुख्य भूमिका में आयेंगे। क्योंकि हमारी सोच का बहुत बढ़ा बिंदु वातावरण पर निर्भर है। राजनीति इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। “चीजें बुरी नहीं हुआ करतीं, उसमें होने वाले लोग या हालात उसे बुरा बनाते हैं।” अभी समय उसके पक्ष में नहीं, राजनीति अच्छी चीज है।

कूटनीति क्या है?

कूटनीति इससे भिन्न है। इसका उपयोग मुख्यतः राजनीति में संधि या मैत्री के समय सामरिक रूप से होता है। “कूटनीति राजनीति का चातुर्यपूर्ण एवं व्यवहारकुशल भाग है।” पुरातन काल में युद्ध के समय इसका पूर्ण उपयोग किया जाता था। वैसे यह आज भी उतनी प्रभावपूर्ण है। यह परिपक्व मन का खेल है। वही इसे उचित प्रकार से प्रयोग कर सकता है।

दुष्प्रभाव

राजनीति में भले लोग न होने के दुष्प्रभाव आज प्रत्यक्ष रूप से दिखते हैं। यह एक दिन में नही हुआ है। यह बिल्कुल तितली प्रभाव ‘Butterfly effect’ की तरह है। एक चिंगारी लगाई गई जो आग बनकर समाज में फैल गई। अब लोगों को उस बीमारी की लत लग चुकी है। यह बुरी आदत है जिसे छोडना अति आवश्यक है।

विचार कीजिये?

आज स्वार्थ से भरी यह दुनिया अपनों के पेट पर लात मारकर क्यों प्रसन्न हो रही है? भलाई का दामन ओढ़े लोग अपनों को क्यों ठग रहे हैं? क्योंकि जंगल में एक चिंगारी बहुत पहले फेंकी जा चुकी है। जिसे बुझाने की ताकत मात्र राजनीति में है।

“कई कारणों में मुख्य कारण सत्य है।”

– Mr Anown

धन्यवाद 😊