एक ऐसे व्यक्ति की कल्पना कीजिए, जिसने 16 साल की उम्र से ही शराब और धूम्रपान करना शुरू कर दिया हो और उसके जीवन का ज्यादातर हिस्सा मोटापे से जूझते हुए बीता हो। 25 साल के जीवन के दौर पर, उस पर दस हजार डॉलर का कर्ज हो गया था। कर्ज वसूलने वाली एजेंसियाँ हाथ धोकर उसके पीछे पड़ी हुईं थीं। अपने जीवन में लीसा आज तक कभी किसी नौकरी में लंबे समय तक नहीं टिकी थी। उसके बायोडाटा के अनुसार उसका सबसे लंबा कार्य-काल एक साल से भी कम का था।
पर आज शोधकर्ताओं के सामने बैठी महिला एक दुबले-पतले पर तंदुरुस्त शरीर वाली महिला थी, जिसके पैर किसी धावक जितने मज़बतू थे। चार्ट में लगी तस्वीरों की तुलना में वह आज दस साल छोटी नजर आ रही थी। और उसे देखकर ऐसा लग रहा था कि वह उस कमरे में बैठे सभी लोगों को व्यायाम करने में आसानी से पछाड़ सकती है। उसकी फाइल में दर्ज ताजा रिपोर्ट के अनुसार अब लीसा पर कोई कर्ज नहीं था। वह शराब पीना छोड़ चुकी थी और पिछले 39 महीने से सफलता पूर्वक एक ग्राफिक डिजाइनर कंपनी में काम कर रही थी।
‘आपने आखिरी बार सिगरेट कब पी थी?’ सवाल की एक लंबी सूची सामने रखकर एक डॉक्टर ने लीसा से पूछा। मैंने यह केस अध्यन “द पावर ऑफ हैबिट” बुक में पढ़ा था। जिसने मेरी जिज्ञासा की अग्नि में घी डाल दिया।
लीसा ने डॉक्टर के सवाल के जवाब में कहा, ‘लगभग 4 साल पहले। तब से, मैंने 60 पाउंड वजन कम कर लिया है, और अब मैं मैराथन में भी दौड़ती हूं।’ उसने मास्टर्स की डिग्री लेने के लिए पढ़ाई शुरू कर दी थी और साथ ही अपने लिए एक घर भी खरीद लिया था। यह लीसा के जीवन का सबसे रोमांचक समय था।
स्वास्थ्य क्यों महत्वपूर्ण है?
भारत में आज भी स्वास्थ्य लोगों की प्राथमिकता नहीं है। कोरोना के ठीक बाद लोग स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हुए थे, परन्तु अब नहीं हैं। भारत में एक पुरानी कहावत है, “पहला सुख निरोगी काया, दूजा सुख घर में हो माया। तीजा सुख कुलवंती नारी, चौथा सुख पुत्र हो आज्ञाकारी। पंचम सुख स्वदेश में वासा, छठवां सुख राज हो पासा। सातवा सुख संतोषी जीवन, ऐसा हो तो धन्य हो जीवन।” अफ़सोस, मात्र यह एक कहावत ही है, इसे सत्य में कोई लागू नहीं करता।
स्वामी विवेकानन्द ने कहा था, “हम संसार में सर्वत्र देखते हैं, कि सभी यह शिक्षा देते हैं, ‘भले हो जाओ, भले हो जाओ, भले हो जाओ।’ संसार में शायद किसी देश में ऐसा बालक नहीं पैदा हुआ, जिसे मिथ्या भाषण न करने, चोरी न करने आदि की शिक्षा नहीं मिली। परंतु कोई उसे यह शिक्षा नहीं देता कि वह इन असत् कर्मों से किस प्रकार बचे।” इसी प्रकार उपयुक्त वाक्यांश लोगों को जीवन का उचित मार्ग दर्शाकर, मात्र मार्ग का द्वार खोलने का कार्य करती है। वे नहीं जानते उन्हें इस जंगल के भूलभुलैया (कठिन) रास्ते पर कैसे जाना है? उन्हें किन कठिनाइयों का सामना करना है? इसलिए इस रास्ते को जानने के बाद भी वे कभी इस पर नहीं चलते।
Important
स्वास्थ्य की महत्वपूर्णता का बोध होने से काम खत्म नहीं, शुरू होता है। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए इसे पालना पड़ता है। इसे पालने के लिए आपको खाने-पीने की वस्तुओं पर विशेष ध्यान रखकर, व्यसनों को त्यागकर, एक कड़ी दिनचर्या का अनुसरण करना होगा। व्यसनों का त्यागना एवं कडी दिनचर्या सुनकर कृप्या डरें न। आगे आपको ऐसी युक्तिओं से अवगत कराऊंगा, जिनसे आप ऐसा करने में निपुण हो जाएंगे। उसके बाद यात्रा और मंजिल आपके निर्णय और दृढ़ता पर निर्भर होगी।
स्वास्थ्य और आदतों का संबंध
आप कमरे का द्वार खोलते हैं। पूरा कमरा अस्त-व्यस्त है, कूड़ा-करकट चारों ओर फैला हुआ है। अन्दर जाने तक का मन नहीं करता। आप तय करते हैं कि छुट्टी वाले दिन आप कमरे की सफाई करेंगे। मान लेते हैं, आप ऐसा करने में सफल हो जाते हैं। आप एक महीने बाद कमरे को उसी आयाम पर पाते हैं। आप 1 महीने बाद फिर कमरे की सफाई करने का निर्णय लेते हैं। इस बार भी आप सफल होते हैं। ऐसे में आपको हर महीने में एक बार कमरे की सफाई करनी पड़ेगी। सवाल यह है कि इससे निपटने के लिए आप क्या करेंगे?
कभी सोचा है, भारत के शहरों की तुलना में गाँवों में बीपी और शुगर के मरीज क्यों कम हैं? न केवल बीपी और शुगर बल्कि सभी बीमारियों के मरीज शहरों की तुलना में गाँवों में कम हैं। इसका मुख्य कारण इंसानी सभ्यता के विपरीत शहरों का रहन-सहन है। आने-जाने के रास्ते, मॉल्स आदि में आसानी से उपलब्ध फास्ट-फूड्स और कोलड्रिंकस स्टोर्स, शहरों का वातावरण, और भी बहुत कुछ इसमें शामिल है। ऐसा इसलिए क्योंकि लोग आसानी से उपलब्ध स्टोर्स के प्रोडक्टस को एक बार चेक करने की भूल कर लेते हैं। वह उन्हें भा जाता है। सप्ताह में एक बार खाने से आप मोटे थोड़े ही हो जाएंगे। यह कबूतरों के जाल में फंसने का मुख्य कारण है।
अमेरिका के मैरीलैंड के बेथस्डा में स्थित प्रयोगशाला में वैज्ञानिक लीसा के साथ-साथ दर्जनों लोगों पर पिछले तीन सालों से रिसर्च कर रहे हैं। वैज्ञानिकों ने अत्यधिक खाने, धूम्रपान व शराब और अत्यधिक खरीदारी से ग्रस्त सभी प्रतिभागियों की दिनचर्या भांपने के लिए इनके घरों पर कैमरे लगाए। क्योंकि इन लोगों में एक चीज समान थी कि इन्होंने अपेक्षाकृत बहुत कम समय में अपने जीवन को एक नई दिशा दी थी। जिसका कारण आदतें थी।
आदतें कैसे बनती हैं?
अपनी सुबह की दिनचर्या पर गौर कीजिए। आप सुबह एक ही कार्य बिना सोचे-समझे करते हैं, क्यों? जब आपने गाड़ी चलाना सीखा था तो आपको कई कठिनाईयों का सामना करना पड़ा था। क्या आपको याद है? पहली बार जब आप गाड़ी निकालने के लिए पार्किंग पर गए थे। आपने गाडी अनलॉक की, दरवाजा खोला, सीट पर बैठकर आवश्यकतानुसार सीट सैट की, दोनों शीशे सैट करे, सीट बैलट लगाई, क्लच, ब्रेक, एक्सीलेटर देखकर उन पर पैर रखे, क्लच दबाया, गियर डाला, एक्सीलेटर धीरे-धीरे दाबकर क्लच से पैर हटाया, हैंडल संभाला, दोनों शीशों और साइडों पर ध्यान रखते हुए आप गाडी चलाने लगे। अब आप अपना ध्यान हर जगह रखकर बिना ज्यादा मेहनत किए आसानी से गाड़ी चला सकते हैं। ऐसा क्यों?
आपका दिमाग इसका कारण है। आसान शब्दों में, यह दिन-भर की सभी गतिविधियों को रिकार्ड रखता है। जब आप सोते हैं तब वह रिकार्डिंग सेव करता है। नई आदतों को याद कर लेता है, पुरानी आदतें और सुदृढ हो जाती हैं। इसमें समस्या केवल इतनी है कि यह सही और गलत को नहीं जानता। गतिविधि पूर्ण करके मिलने वाला इनाम या पुरस्कार ही दिमाग का सही और गलत है। पसंद आये पुरस्कार को यह आसानी से सही मान लेता है, यही गलत आदतें बनने का मुख्य कारण हैं।
4 चरणों में आदतों की प्रक्रिया
चार आसान चरणों में आदत बनने की प्रक्रिया को बाँट सकते हैं। इशारा, इच्छा, प्रतिसाद (कार्य करने की प्रकिया), पुरस्कार। मोबाइल में हुआ कंपन (vibration) आपके दिमाग के लिए इशारा हुआ। इसके परिणामस्वरूप आपने मोबाइल चेक किया। मोबाइल देखने के बाद आपके दिमाग में उत्पन्न हुई उसे पूरा पढ़ने की इच्छा ही दूसरा चरण है। मोबाइल को अनलॉक करके उसे पूरा पढ़ने की प्रक्रिया ही प्रतिसाद है। मैसेज को पढ़कर उससे मिलने वाली संतुष्टि ही आपका पुरस्कार है।
स्वास्थ्य पर आदतों का उपयोग
आदतों से न केवल स्वास्थ्य बल्कि जीवन के किसी भी क्षेत्र में अपेक्षाकृत रूप से वृद्धि संभव हैं। अपनी सुबह से शाम तक की दिनचर्या का आकलन करें। ऊपर दिए गए फॉर्मूले के याद रखकर उसका प्रयोग अच्छी आदतों को बनाने में लगाएं। बुरी आदतों को अच्छी आदतों में परिवर्तित कीजिए।और एक आदत के साथ अगली आदत जोड़ते रहें। सुबह उठने के ठीक बाद चाय के स्थान पर पानी पीएं। इसके ठीक बाद ठहलें फिर ब्रुश आदि करें।
बुरी आदतों को अच्छी आदतों में परिवर्तित करें
धन्यवाद 😊