प्रयोजन – Mr Anown

Mr Anown का प्रयोजन केवल पृथ्वी को सुरक्षित बनाने का ही नहीं बल्कि उससे कहीं अधिक है। यह मानव सभ्यता को नई दिशा देकर भविष्य में मदद करेगा। आने वाले भविष्य में टेक्नॉलाजी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की मदद से बहुत गति से वृद्धि करेगा। उस समय पर ताकतवर लोग सभी पर आधिपत्य जमा लेंगे। वही बचेंगे जिनका मन उनका साथी होगा।

नमस्ते, मैं एक लेखक हूँ। मंगल पर जीवन मानव सभ्यता के लिए गौरव की बात होगी। इसके साथ ही हमें पृथ्वी को सुरक्षित बनाने पर जोर देना चाहिए। अगर हम ऐसा करने में असमर्थ हुए तो मंगल पर मानव ज्यादा समय तक नहीं टिकेंगे। मानव तीसरे ग्रह पर जीवन तलाशेगा और उसका भी वही होगा। न चाहते हुए भी मानव को ग्रहों को सुरक्षित (रहने योग्य) बनाना ही होगा। फिर भी नहीं रुके तो विनाश होगा।

यह भविष्य है, मिलकर बदलाव संभव है

हजारों-हजार साल पहले जब मानव सभ्यता की पृथ्वी पर शुरुआत हुई थी। तब मानव बहुत शक्तिशाली था, वह जो चाहता उसे आसानी से प्राप्त कर लेता। जब वह अपनी शक्ति के मद में चूर होकर गलत काम करने लगा। तब परम ईश्वर ने सबकी शक्ति को छीन कर उसे कहीं छुपाने का निर्णय लिया। सभा में उनके परामर्शदाता ने सलाह दी आप इस ताकत को जमीन के अन्दर गाढ दें। तब वे बोले मनुष्य इसे गढ्ढ़ा खोदकर प्राप्त कर लेगा। दूसरे ने सलाह दी आप इसे समुद्र की गहराई में छुपा दो। कुछ समय विचार करने के बाद परम ईश्वर ने कहा, हम इसे मानव के मन की गहराई में छुपा देंगे। वह सदैव इसे बाहर खोजता रहेगा।

यह समझें

क्यों हमारी इच्छाएँ कभी पूर्ण नहीं होती, क्यों मन सदैव इच्छाओं के भंवर में फंसा रहता है? मन शान्ति खोज रहा है। मन की गहराई में शान्ति के खजाने का भण्डार है। शान्ति मानव की अदम्य शक्ति है। शान्त मन की शक्ति से सिद्धार्थ गौतम बुद्ध हुए। बहुत समय तक गौतम बुद्ध को गाली बकने के बाद वह व्याकुल हो गया और बोला मैं आश्चर्यचकित हूँ! क्या आपको तनिक भी बुरा नहीं लगा? तब वे बोले, बालक को कोई परिजन उपहार दे, बालक उपहार न ले, तब वह उपहार किसका होगा? परिजन का, कथित ने जवाब दिया। इसी तरह तुम्हारी कही हुई बातें मैंनें स्वीकार नहीं कीं। अब वे बातें तुम्हारे पास हैं और तुम व्याकुल हों।

आप स्वयं से अवगत हो सकें इसलिए भी इस बात को समझना आवश्यक है। अंत समय में आप ग्लानि से न भरें इसलिए भी इस शक्ति पाना आवश्यक है। जब तुम यह जान जाओगे मेरे सब-कुछ करने के बाद भी मुझे कुछ भी हासिल नहीं होगा। जीवन व्यतीत करने के लिए कुछ करना है, तो क्यों न कुछ ऐसा करूँ जिससे लोक कल्याण हो। लोक कल्याण करने की तुम्हारी इच्छा नहीं है क्योंकि तुम्हारी तलाश समाप्त हो गयी हैं।

जो मानव यह समझकर उस शक्ति को पा लेंगे, उनके द्वारा किए गए कर्मों से पृथ्वी सुरक्षित होगी। वे अन्धकार में जलने वाली उस ज्योति के समान होंगे जो इस जग को प्रकाशित करेगी।

शुरुआत

आज के समय में आम जनता को कई मुख्य मुद्दों या समस्याओं के बारे में सत्य जान पाना जितना आसान है, उसे उतना ही साँचे में ढालकर प्रस्तुत किया जाता है।

हमारी शिक्षा प्रणाली की वज़ह से लोगों में बुनियादी विषयों के ज्ञान का अभाव है। नेता और राजनेता में क्या अन्तर है, सहानुभूति या समानुभूति क्या होती है। आरक्षण, भ्रष्टाचार, राजनीती जैसे अन्य कई सामाजिक मुद्दे हैं जिनके बारे में सही जानकारी का अभाव है। ऐसा इसलिए है क्योंकि शिक्षा प्रणाली का मुख्य उद्येश्य नौकर पैदा करना है। लॉ जैसे मुख्य विषय या अन्य ऐसे विषय जो जीवन में अहम भूमिका निभाते हैं का अभाव नजर आता है।

सोच??

हमारी सोच कई मुख्य बिंदुओं पर आधारित होती है। ‘वातावरण’ उन मुख्य बिंदुओं में से एक है। न केवल हमारा परिवार या समाज बल्कि हमारे देश और विदेश की राजनीती भी वातावरण के अन्तर्गत आती है। राजनीती हमारी सोचने की पद्धति पर गहरा असर डालती है।

मान लीजिए एक ऐसा देश जिसकी राजनीती का आधारभूत ‘विकास’ है। वहाँ पर लोगों के सामाजिक निर्णय विकास पर आधारित हैं और वहाँ भ्रष्टाचार तुलनात्मक रूप से कम है। अब सोचिये एक ऐसा देश जिसकी राजनीती का आधारभूत धर्म है। वहाँ लोगों के सामाजिक निर्णय धर्म पर आधारित हैं, लोग छोटी-छोटी बातों पर लड़ने को तैयार हैं और वहां भ्रष्टाचार भी तुलनात्मक रूप से ज्यादा है। और जो देश आंतकवाद को बढावा देते हैं वहां पर हालात बद से बदतर देखने को मिलते हैं।

कितना अजीब है न ‘आपको आपके द्वारा नहीं बनाया गया है, आपको इस समाज ने भी मिलकर नहीं बनाया है, आप अपने आप वह बन गये हैं जो आप हैं।’ आप कौन हैं? आप एक विचार हैं। आपके दिमाग में विचार नहीं तो आप नहीं। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण पागल व्यक्ति है। विचारों को सुनकर उसे सही तरह से प्रक्रिया न कर पाने की क्षमता न होने के कारण ही वह पागल कहलाता है। विचार ही सोच है। सोच कई मुख्य बिंदुओं पर आधारित होती है, वातावरण (समाज) उनमें से एक है।

फ्री अवसर

अब हमारे पास अपने-आप को दोबारा बनाने का एक अवसर है। इसके बीज हमारे विचार हैं, हमारे द्वारा लिए गए निर्णय ही वृक्ष हैं और निर्णयों के परिणाम ही वह फल हैं जो हमारा जीवन हैं। विचारों को बदलकर सोच बदलती है, सोच ही हमारे निर्णयों को प्रभावित करती है और सही निर्णयों को लेकर ही हम नया जीवन बना सकते हैं। अब वह जीवन अपने आप नहीं बना है, उसके सृजनकर्ता अब आप हैं।

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