वातावरण में उपलब्ध हानिकारक पदार्थों का संयोजन प्रदूषण है। हानिकारक पदार्थों का मिश्रण प्रदूषक हैं। जो प्रदूषण का मुख्य कारण हैं। यह ज्वालामुखी राख, रेगिस्तान की धूल, उल्कापिंड आदि से स्वतः भी बनते हैं। कचरा, कारखानों द्वारा उत्पादित बहिस्राव आदि से मानवों द्वारा भी बनाये जाते हैं। पूर्ण रूप से, यह शुरू हुई एक महामारी की तरह है। जिससे बचने के उपाय तो किए जा सकते हैं, परन्तु इसका सीधा इलाज फिलहाल नहीं है।
वायु प्रदूषण
घर के भीतर तथा बाहरी हवा में रासायनिक, भौतिक या जैविक एजेंटों द्वारा वातावरण की प्राकृतिक विशेषताओं को संशोधित करना वायुप्रदूषण कहलाता है। कभी-कभार ज्वालामुखी विस्फोट, तूफानी धूल और जंगल की आग आदि प्राकृतिक कारणों से वायुप्रदूषण होता है। मानव निर्मित संसाधनों में घरेलू दहन उपकरण, मोटर वाहन, औद्योगिक सुविधाएं वायु प्रदूषण के सामान्य स्रोत हैं।
सिगरेट पीने से लेकर कारखानों से निकलने वाले जहरीले धुएँ तक मानवों का नियंत्रण है। किसी घर से जब कोई कुत्ता रोटी चुराकर ले भागता है तो वह भी किसी चौथी गली में जाकर, आड़ में बैठकर डरते हुए खाता है। सिगरेट पीने वाले भी गलत और सही का फर्क समझते हैं। वे भी शायद उसे छोडना चाहते हों, परन्तु वे अपने मन के गुलाम और आदतों के चंगुल में हैं।
एक चीज जिसका प्रदूषण में प्रमुख योगदान है। उसका उपयोग कम करने की भी आवश्यकता नहीं है। फिर भी हम उस पर विजय आसानी से पा सकते हैं। हम घर में रहते हैं या ऑफिस में होते हैं। बच्चे भी ज्यादा समय अन्दर ही रहते हैं। गौर फरमाएंगे तब पायेंगे कि हम बाहर से ज्यादा समय भीतर व्यतीत करते हैं। मानव निर्मित संसाधनों में घरेलू दहन उपकरणों का प्रमुख योगदान है। अगर भीतरी वातावरण में कुछ ऐसे पौधे लगाए जाएं जो हवा को शुद्ध करते हैं। इनसे न केवल प्रदूषण कम होगा बल्कि यह आपको एवं आपके परिवार को स्वस्थ भी करेगें।
अंतरिक्ष स्टेशनों में वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए सर्वश्रेष्ठ इनडोर पौधों को निर्धारित करने के लिए नासा ने 1980 के दशक के अंत में एक अध्ययन किया। अध्ययन का उद्देश्य ऐसे पौधों को खोजना था जो हवा से विषाक्त पदार्थों को निकालने में मदद कर सकें। ताकि अंतरिक्ष यात्रियों के लिए एक स्वस्थ रहने का वातावरण तैयार हो सके। यहाँ कुछ पौधे हैं जिनकी नासा ने सिफारिश की थी:
स्नेक प्लांट: इसे सास की जीभ के रूप में भी जाना जाता है, यह पौधा फॉर्मल्डिहाइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, बेंजीन और ट्राइक्लोरोएथिलीन को अवशोषित करने में अत्यधिक कुशल है।
पीस लिली: यह हवा से फॉर्मेल्डीहाइड, बेंजीन और ट्राइक्लोरोएथिलीन को हटाने की उनकी क्षमता के लिए जाना जाता है। यह पर्यावरण में नमी भी जोड़ते हैं, जो सूखे इनडोर स्थानों में फायदेमंद हो सकता है।
इंग्लिश आइवी: यह फॉर्मेल्डिहाइड, बेंजीन और ट्राइक्लोरोइथाइलीन सहित एयरबोर्न मोल्ड बीजाणुओं और विभिन्न इनडोर वायु प्रदूषकों को कम करने में प्रभावी है।
बोस्टन फर्न: बोस्टन फर्न अपनी वायु-शुद्धिकरण क्षमताओं के लिए जाने जाते हैं और हवा से फॉर्मलाडेहाइड, बेंजीन और ज़ाइलीन को हटा सकते हैं। यह प्राकृतिक ह्यूमिडिफायर के रूप में भी काम करते हैं।
एरेका पाम: एरेका पाम फॉर्मलडिहाइड, बेंजीन और ज़ाइलीन जैसे इनडोर वायु प्रदूषकों को हटाने में उत्कृष्ट है। यह हवा में नमी की एक महत्वपूर्ण मात्रा भी जारी करता है, जिससे आर्द्रता (नमी) के स्तर में सुधार होता है।
एलोवेरा: एलोवेरा में न केवल औषधीय गुण होते हैं बल्कि यह हवा से फॉर्मल्डिहाइड और बेंजीन को खत्म करने में भी मदद करता है। यह कम रखरखाव वाला है और विभिन्न इनडोर स्थितियों में पनप सकता है।
स्पाइडर प्लांट: स्पाइडर प्लांटों की देखभाल करना आसान होता है और ये फॉर्मल्डिहाइड, ज़ाइलीन और कार्बन मोनोऑक्साइड के स्तर को कम करने में प्रभावी होते हैं। यह ऑक्सीजन उत्पन्न करने और हवा से विषाक्त पदार्थों को निकालने की अपनी क्षमता के लिए जाने जाते हैं।
यह नासा द्वारा उनके वायु शुद्धिकरण गुणों के आधार पर अनुशंसित (सिफारिश किए गए) पौधों के कुछ उदाहरण हैं। अपने भीतरी वातावरण में इन पौधों को शामिल करने से हवा की गुणवत्ता में सुधार और स्वस्थ रहने की जगह बनाने में मदद मिलेगी।
हमारे द्वारा जीवाश्म ईंधन जलाने पर वे कार्बन डाईऑक्साइड और ग्रीनहाउस गैस हवा में छोड़ते हैं। बदले में ये गैसें सूर्य से आने वाली गर्मी को रोक लेती हैं। जिसके परिणामस्वरूप वैश्विक तापमान बढ़ता है। तापमान में यह वृद्धि पर्यावरण में धुंध के स्तर को बढ़ाकर वायु प्रदूषण को तीव्र करती है। और ग्लोबल वार्मिंग के पीछे एक प्रमुख कारक है। औद्योगिक क्षेत्र में यह आम बात है। वायु प्रदूषण से बहुत लोग बीमार हो रहे हैं। वायु प्रदूषण से हृदय रोग, श्वसन संक्रमण और फेफड़ों का कैंसर जैसी बीमारियाँ होने का खतरा रहता है। W.H.O (विश्व स्वास्थ्य संगठन) के अनुसार, वायु प्रदूषण से हर साल लगभग 24 लाख लोगों की मौत होती है।
जंगल में आग लगने पर कई बेगुनाह जानवर मारे जाते हैं। हम इस आग को बाद में बुझाने में समर्थ हैं। हर बार हम इसमें सफल भी हुए हैं, परन्तु आग लग ही न पाए को हम नियंत्रित नहीं करते। प्राकृतिक कारणों पर हमारा नियंत्रण नहीं है। हम स्वार्थी हैं, और हम चूंकि अब आदि हो गए हैं। इसलिए मानव निर्मित संसाधनों को हम नियंत्रित करते नहीं हैं। और भविष्य में यह तब तक नहीं रुकेगा जब तक हम कोई नई तकनीकि का आविष्कार नहीं कर पाते।
जल प्रदूषण
हानिकारक पदार्थ – अक्सर रसायन या सूक्ष्मजीव – बिना किसी समुचित उपाय के किसी एक धारा, नदी, झील, महासागर या किसी अन्य जल समिति में विसर्जित कर देना जिससे जल दूषित होता है, जल प्रदूषण कहलाता है। कभी-कभी ज्वालामुखी विस्फोट, पशु अपशिष्ट और तूफान और बाढ़ के अवशेषों से भी जल प्रदूषण होता है। प्रतिदिन का सीवेज और कभी-कभार शहरों का कचरा भी सागरों में फेंक दिया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप जल प्रदूषित हो जाता है। तेल रिसाव, जीवाश्म ईंधन दहन आदि प्रदूषण के मुख्य कारक हैं।
न केवल यह जलीय जंतुओं के पारिस्थितिक तंत्र (इकोसिस्टम) को दूषित करते हैं, बल्कि प्रदूषक भूजल से होते हुए हमारे घरों में पहुँचते हैं। दूषित जल को पीने से हेपेटाइटिस, हैज़ा, सिस्टोसोमियासिस आदि बीमारियाँ हो सकती हैं। जल प्रदूषण से जल समितिओं में रहने वाले जलीय जीव भी मर जाते हैं। कई बार मछली, केकड़े, डॉल्फिन और अन्य कई बडे जानवर समुद्र तट पर मरे हुए पाए गए हैं।
कोरोना काल में नदियों के जल गुणवत्ता में सुधार देखने को मिलता है। ऐसे इसलिए हुआ क्योंकि जल प्रदूषण में सबसे महत्वपूर्ण योगदान कारखानों से निकलने वाले दूषित जल एवं कचरे का है। जब तक इस दूषित जल को जब तक इस जल को शुद्ध करके जल समितिआं तक नहीं पहुँचाया जायेगा, तब तक जल का साफ होना संभव नहीं है।
मृदा प्रदूषण
जहरीले पदार्थों – कचरा, मलबा, ज़ेनोबायोटिक रसायन या जहरीला रसायन, आदि – की विषम सांद्रता मिट्टी को दूषित करता है, मृदा प्रदूषण कहलाता है। विशाल कारखानों में उत्पादित अपशिष्ट, बाहर फेंके जाने वाला कचरा, किसानों द्वारा उपयोग में ली जाने वाली कीटनाशक, मृदा प्रदूषण का मुख्य कारण है। कचरे से निकलने वाली मीथेन गैस ग्लोबल वार्मिंग के मुख्य कारणों में से एक है।
मिट्टी या पानी में खतरनाक रसायन मिलने से कैंसर, मस्तिष्क संबंधी विकार और त्वचा आदि की समस्या कई खतरनाक बीमारियाँ जन्म लेती हैं। W.H.O के एक अनुमान के मुताबिक, वैश्विक स्तर पर होने वाली लगभग सभी मौतों में 13% योगदान मृदा प्रदूषण का है। यह संख्या 83 लाख के आस-पास है।
सरकारें कहती हैं, हम कचरा या पॉलिथिन का उपयोग कम करके बहुत कचरा कम कर सकते हैं। जनता कहती है, जब इतनी ही चिन्ता है तो पॉलीथिन प्रतिबंध लगा दो। दोनों यूँ ही दलीलें देते रहेंगे। स्वार्थी मानव तब तक नहीं रुकेगा जब तक पॉलिथीन का अच्छा विकल्प नहीं बन जाता।
धन्यवाद 😊