सामाजिक मुद्दा

गरीबी: एक श्राप

Mr Anown द्वारा लिखित

रोटी, कपडा और मकान, जैसे जरुरी संसाधनों की कमी या न होने की स्थिति गरीबी है। वास्तव में गरीबी दुनिया का सबसे बड़ा पाप है। तुलसीदास ने श्रीरामचरितमानस में वर्णन किया है: “नहिं दरिद्र सम दुख जग माहीं”1 उन्होंनें विश्व का सबसे बड़ा दुख गरीबी को बताया है।

क्यों गरीबी श्राप है?

उसने अब तक अपने पिता का चेहरा नहीं देखा था। जिस माँ ने बचपन से पाला अब वह इस दुनिया में नहीं थी। माँ का प्यार कभी नसीब नहीं हुआ क्योंकि माँ ने एक समय को एक दिन ही जीया था। रोज सवेरे खाना खिलाकर, उसे घर में अकेला छोड़कर माँ कहीं जाती और रात में घर आकर उसे खाना खिलाकर, सुलाकर, सोती। वह हर रोज यही देखक़र बडा हुआ।

पूरा दिन काम करके केवल पेट भरने जितना ही कमा पाती थी। वह बीमार हो रही थी और डॉक्टर को दिखाने में सक्षम नहीं थी। बीमारी के साथ भविष्य का डर भी उसे अन्दर से खा रहा था। जिस मृत्यु का उसे डर था और जिस भविष्य की चिन्ता वह साकार हो चुकी थी। उसकी मौत का कारण एक छोटी-सी बीमारी थी।

न अपना कोई पास था और न ठेकेदार समाज। वह कभी स्कूल नहीं गया और न ही पढना जानता था। भूख उसके पेट पर दस्तक  दे रही थी। वह बालक अब अनाथ था। पेट भरना 10 वर्ष के बालक के समक्ष सबसे बड़ी समस्या और चुनौती हैं। उसके पास कोई खाना खिलाने वाला नहीं हैं।

विचार कीजिए

जिस माहौल में वह माँ के प्यार और संस्कारों के बगैर बडा हुआ। ऐसे में वह किस तरह की आय से पैसे कमाएगा:

  1. भीख माँगकर
  2. चोरी करके
  3. होटल पर काम करके 
  4. अन्य तरीके से

आपका जवाब कुछ भी हो, आँकडे कहते हैं 90% से ज्यादा क्राइम गरीब द्वारा ही किये जाते हैं। कुछ अमीरों द्वारा फंसाये जाते हैं, कुछ को समाज और सरकार ने ऐसा बनने पर मजबूर कर दिया है, कुछ को क्राइम करने की धमकी दी जाती है। वजह चाहें जो हो सत्य यही है और इसीलिए गरीबी एक अभिशाप है।

कहानी और वास्तविकता के बारे में

यह कहानी कई गरीब, अनाथ बच्चों के जीवन पर आधारित है।

  • एक माँ अपने बच्चे का पेट भरने के लिए उसे घर में अकेला छोड़कर दूसरी माँ के बच्चे को पालने के लिए जाती है। अमीर माँ के बच्चे को दो माँओं का प्यार मिलता है और गरीब माँ के बच्चे को किसी का भी नहीं। यह किसकी गलती है? 
  • एक माँ जब बीमार होती है तो उसके पास समय और उपयुक्त रुपये दोनों की कमी है। इसके लिए कौन जिम्मेदार है? 

गरीबी का कोई एक कारण नहीं होता और हर परिस्थिति के अनुसार इसके परिणाम अलग-अलग होते हैं। यह कहानी गरीबी की केवल एक परिस्थिति के अनुसार इसके कुछ परिणामों को दर्शाती है। किसी देश की सीमाओं के भीतर गरीबी का मतलब बहुत अलग-अलग हो सकता है। भारत में गरीब महसूस करना अमेरिका में गरीबी में रहने से अलग हैं।

गरीबी घटाना

अनेक कारणों के होते हुए भी एक बात निश्चित है; गरीबी एक जटिल समस्या है। कोई फर्क नहीं पड़ता कि गरीबी को कैसे परिभाषित किया गया है, इस बात पर सहमति हो सकती है कि यह एक ऐसा मुद्दा है जिस पर सभी को ध्यान देने की आवश्यकता है। सरकार इसमें सबसे अहम भूमिका निभाती है।

  1. कई लोगों ने कहाः गरीबों को अमीर अपनी मेहनत से बनना चाहिए। ऐसा कहना यथोचित नहीं है। कोई भी व्यक्ति स्वयं वह नहीं बनता जो वह होता है। उसे बनाने में देश और उसकी राजनीति, समाज, माता-पिता, भाषा और भी कई चीजें अहम हैं।
  2. सभी में रुपये बराबर बाँटने का सुझाव भी कई लोग देते हैं। एक बार ऐसा करने की कोशिश चीन2 ने की जिसमें वे विफल हुए। कई कारणों में मुख्य कारण आंतरिक प्रेरणा का कम हो जाना है। आंतरिक प्रेरणा कम होने से लोग काम कम करते हैं। लोगों के काम करने से देश के संसाधनों पर सीधा असर पड़ता है। संसाधनों में कमी के कारण देश गरीब हो जाता है।
  3. सरकार गरीबी में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है:
    • दिल्ली जैसे महानगर में रहने वाले एक व्यक्ति की आय ₹10,000 है। अगले महीने में उसकी मासिक आय ₹11,000 हो जाती है। इतने पर भी उसकी बुनियादी जरूरतें पूरी नहीं होंगी। 
    • अगले महीने में उसकी मासिक आय बिल्कुल न बढ़ाई गई हो। सरकार की नीति से भोजन, स्वास्थ्य, बिजली फ्री हो जाने पर वह व्यक्ति आराम से जीवन व्यतीत कर सकता है।

ध्यान दें

मात्र जरुरी संसाधनों की व्यवस्था उचित प्रकार से करने पर गरीब व्यक्ति आसानी से जीवन-यापन कर सकता है। गरीबी खत्म करने के पक्ष में दान करने जैसे अनेक कार्यों को करने से यह समस्या कम तो हो सकती है परंतु खत्म नहीं होगी। अपने घर या उद्यम में काम करने वाले व्यक्ति को उचित सम्मान और उन्हें उपयुक्त वेतन3 दें। अपने मित्रों, सगे-सम्बन्धियों से गरीबी हटाने के विषय पर चर्चा करें और सलाह उन तक पहुंचायें।